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Description

दुष्यंत के पास सब कुछ था, वो सब जो एक इंसान को जीने के लिए चाहिए| बस अगर कुछ नहीं था तो वो था ‘सुकून’| अपने माता-पिता की अकस्मात मृत्यु के पश्चात उसके पास तो जैसे जीने की वजह ही नहीं बची थी| उसने एक निर्णय लिया, अपनी देह-लीला समाप्त करने का निर्णय| वो बस खुद को ख़त्म ही करने ही वाला था कि उसके एक मित्र ने उसको जीने की वजह दी| दुष्यंत ने आत्महत्या का इरादा त्याग कर अपने मित्र को उसकी परेशानी से निकालने के उद्देश्य से उसके घर जाने का फैसला किया| दुष्यंत को पता भी नहीं था कि वो ‘कुएं से निकल कर खाई में गिरने’ वाली कहावत को चरितार्थ करने निकल पडा है| उसके मित्र देव के साथ हो रही असाधारण घटनाएं किसी भूत-प्रेत से सम्बंधित लग रहीं थीं और हर गुज़रते पल के साथ दुष्यंत उनमें उलझता जा रहा था| शीघ्र ही दुष्यंत एक ऐसे दोराहे पर खड़ा था जहां से आगे बढना उसके लिए लगभग नामुमकिन हो गया| उसका मुकाबला किसी साधारण आत्मा से नहीं था, उसके सामने कर्ण-पिशाचिनी जैसी शक्ति थी और उसको निलवंती ग्रन्थ से जुडी किवदंतियों को भी सुलझाना था| ‘सुकून’ सिर्फ एक उपन्यास नहीं है, यह एक चमत्कारी यात्रा है जो कर्ण-पिशाचिनी से सम्बंधित कई रहस्यों से पर्दा उठाती है| डर और रोमांच हर पन्ने में शब्दों के माध्यम से आपके दिल और दिमाग पर छा जाने वाला है|

Book Details

Weight 180 g
Dimensions 0.5 × 5.5 × 8.5 in
Edition

First

Language

Hindi

Binding

PaperBack

Pages

144

ISBN

9789387390294

Publication Date

2018

Author

Vikrant shukla

Publisher

Redgrab Books

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