Description
Aage badh kar saphalata ko choomo /Author: Prabhat Sinha / MRP: 250 / Pages: 212
Description: सफल कौन नहीं होना चाहता, लेकिन वास्तव में कितने लोग सफल हो पाते हैं? वास्तव में सफलता के लिए दृढ़ता, तप, हठ, अनवरत प्रयास, और सकारात्मक सोच जैसे व्यक्तिगत गुणों का होना तो नितांत आवश्यक है हीं | इन व्यक्तिगत गुणों के ऊपर अगर उत्पादकता और नवाचार भी जोड़ दिया जाय, तो बड़ी सफलता को हासिल करना सुगम हो जाता है | “आगे बढ़कर सफलता को चुमें” पुस्तक में व्यक्तिगत उत्पादकता और नवाचार के लिए आवश्यक सारे घटकों का प्रभावी समायोजन किया गया है | उपयुक्त दृष्टांत और चित्रों को सन्निहित कर आवश्यक सिद्धांतों की समझ को सरल बनाने की कोशिश की गई है |
Rahsay Divya Vani /Author: Achchelal Thathera / MRP: 350/ Pages: 137
Description: प्रस्तुत लेख मेरे व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर जो साधना के अन्तर्गत महसूस हुआ लिखा है। मैं अपने सद्गुरु श्री पण्डित पार्थ सारथी राजगोपालाचारी जी महाराज के चरणों में सप्रेम श्रद्धापूर्वक समर्पित कर रहा हूँ। इसमें जो कुछ भी समावेश है वह आध्यात्मिक क्षेत्र में रुचि और जिज्ञासु दिलों को अवश्य ही प्रभावित करेगी ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है। इस पुस्तक का लक्ष्य सत्य क्या है, आत्मा-परमात्मा के सम्बन्ध एवं आत्म-साक्षात्कार हेतु जानने के इच्छुक जिज्ञासु दिलों के लिए उपयोगी साबित हो तथा यह साधना-विधि जन-जन तक प्रसारित हो ऐसी मंगल कामना करता हूँ। उपरोक्त के सन्दर्भ में जो उपलब्धि गुरु के प्रसाद रूप में मिला है उसका श्रेय मेरे सद्गुरु और उनकी साधना पद्धति से सम्भव हुआ है। यह साधना विधिपूर्ण रूप से नि:शुल्क है। एक बार सम्पर्क अनिवार्य है।
Yog Tatva /Author: Dr. Bijendra Singh / MRP: 200/ Pages: 156
Description: हजारों वर्ष पहले भारत में ऋषियों (बुद्धिजीवियों और संतों) ने अपनी ध्यानावस्था में प्रकृति और ब्रह्माण्ड की खोज की थी। उन्होंने भौतिक और आध्यात्मिक शासनों के कानूनों का पता किया था और विश्व में संबंधों की अंतर्दृष्टि प्राप्त की थी। उन्होंने ब्रह्माण्ड के नियमों, प्रकृति के नियम और तत्त्वों, धरती पर जीवन और ब्रह्माण्ड में कार्यरत शक्तियों और ऊर्जाओं-बाह्य संसार और आध्यात्मिक स्तर दोनों पर ही, जांच की थी। पदार्थ और ऊर्जा की एकता, ब्रह्माण्ड का उद् गम और प्राथमिक शक्तियों के प्रभावों का वर्णन और स्पष्टीकरण वेदों में किया गया है। इस ज्ञान का पर्याप्त अंश पुनरू खोजा गया और आधुनिक विज्ञान द्वारा उसकी पुष्टि-सत्य अनुभूति की गई है। इन अनुभवों और अंतर्दृष्टियों से एक अति दूरगामी और योग नाम से ज्ञात प्रणाली प्रारम्भ हुई। प्रस्तुत पुस्तक योग तत्व में विभिन्न कोर्स जैसे M.Sc, M.A,B.sc,B.A., Diploma Yogic Science, Certificate in Yogic Science, M.Phil, Ph.D, आदि योग के कोर्स के लिए लिखी गई सर्वश्रेष्ठ पुस्तक हैं इस पुस्तक के अंतर्गत योग का इतिहास, योग का आधुनिक काल, आध्यात्मिक काल नारद भक्ति सूत्र योग, वशिष्ठ संहिता, मंत्र योग, राजयोग, कुंडली योग,योगियों का परिचय,संतो साहित्य में योग का परिचय और आधुनिक समय के योगी की समुचित व्याख्या की गई है। इस पुस्तक योग तत्व को आपकी सेवा में प्रस्तुत किया जा रहा है। विद्यार्थियों व पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं।
Vyaktitva Vikas ke Vividh Ayam/Author: B.R Bairwa/ MRP: 250 / Pages: 202
Description: प्रिय पाठकों, सादर प्रणाम। “व्यक्तित्व विकास के विविध आयाम” नामक यह पुस्तक मेरा एक छोटा सा किंतु सार्थक प्रयास है। जिसमें व्यक्तित्व विकास के विविध आयामों को इंगित करने की कोशिश की है। व्यक्तित्व विकास की श्रंखला में यह पुस्तक अवश्य ही मील का पत्थर साबित होगी।
Bhartiy Thgharo ki Kahani /Author: Pranav Tiwari/ MRP: 225 / Pages: 120
Description: “भारतीय ठगहारों की कहानी” ठगी मुक्त समाज व राष्ट्र पर आधारित विचारधारा है। यह पुस्तक समाज में व्याप्त ठगी का दर्पण है जो माध्यम है सर्वसाधारण लोगों को ठगी व घोटालों के अप्रिय कृत से अवगत कराने का जिससे ठगी को नियंत्रित किया जा सके इसके साथ ही मुझे यह विश्वास है, यह पुस्तक ठगी व घोटालों को नियंत्रित करने में एक अहम भूमिका निभाएगी इसका सबसे बड़ा कारण यह है लोग इस पुस्तक को पढ़ने के उपरांत उन कारणों को जान सकेंगे जिनसे भोले-भाले लोग ठगी का शिकार होते हैं। इस पुस्तक को मुख्यतः तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है जो बदलते समय के साथ ठगी में हो रहे परिवर्तन को क्रमवार दर्शाता है जिसमें यह भी स्पष्ट है ठगी के जन्म के समय वह किस स्थिति में थी और अब वर्तमान में वह कितना व्यापक रूप ले चुकी है। इन्हीं बातों को आपके समझ रखने, ठगी व घोटाला रोकने , ठगहारों/घोटालेबाजों का जीवंत चित्रण करने के लिए यह पुस्तक “भारतीय ठगहारों की कहानी” लिखी गई है जिसका उद्देश्य किसी की मानहानि करना बिल्कुल नहीं है यद्यपि आपको आनंदपूर्ण तरीके से ठगी से परिचित कराना है। स्वतः सतर्क रहना ही ठगी से बचने का सबसे बड़ा मूलमंत्र है
Mind Fresh II- dimag ki batti zala de /Author: Krishnapal Singh Rajput / MRP: 200 / Pages: 62